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Monday, October 23, 2017

PM मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ प्लान को अमेरिकी रक्षा कंपनियों का झटका !!


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत भारत में प्रोडक्शन यूनिट्स लगाने की चाह रखने वाली अमेरिकी कंपनियां टेक्नोलॉजी पर पूरा मालिकाना हक़ चाहती है। यह बात रक्षा मंत्री को यूएस बिजनेस काउंसिल द्वारा लिखे गए एक पत्र में सामने आई है। जिसके अनुसार अमेरिकी डिफेन्स कंपनियां टेक्नोलॉजी के आधे मालिकाना हक के पक्ष में नहीं है। कंपनियों का यह भी कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मेक इन इंडिया मुहिम के तहत लोकल पार्टनर के साथ बनाए गए प्रोडक्ट्स में यदि किसी तरह का डिफेक्ट आता है तो उसके लिए वह जिम्मेदार नहीं होंगी। यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल (यूएसआइबीसी) ने रक्षा मंत्रालय को पत्र लिखकर ज्यादा भरोसे की मांग की है। इस ग्रुप में अमेरिका की चार सौ ऐसी कंपनियां शामिल हैं, जो रक्षा उत्पाद (विमान, पनडुब्बी व टैंक) बनाने का काम करती हैं। इनकी तकनीक का लोहा पूरा विश्व मानता है।

लोकहीड मार्टिन व बोईंग भारत को जेट विमानों की आपूर्ति के लिए प्रक्रिया में शामिल हो रही हैं। लोकहीड ने एफ-16 विमानों के कारखाने को पोर्ट वर्थ (टेक्सास) से भारत में स्थानांतरित करने की भी बात कही है, अगर भारत सौ सिंगल इंजन वाले विमानों का आर्डर देता है। अमेरिकी कंपनी ने टाटा एडवांस सिस्टम को अपना स्थानीय भागीदार चुना है। इसमें अमेरिकी कंपनी के पास 49 फीसद शेयर रहेंगे। यूएसआइबीसी ने अपने पत्र में रक्षा मंत्रालय से आग्रह किया है कि संवेदनशील तकनीक पर अमेरिकी कंपनियों का ही नियंत्रण रहेगा। इसके साथ तकनीक पर मालिकाना अधिकार को लेकर भी वह आशंकित हैं। हालांकि भारत सरकार पहले ही मान चुकी है कि तकनीक पर मालिकाना हक अमेरिकी कंपनी का होगा।

आपको बता दें कि पिछले तीस सालों के अथक प्रयासों के बावजूद भारत बड़े रक्षा उत्पाद बनाने में कामयाब नहीं हो सका है। मेक इन इंडिया के तहत सरकार की कोशिश है कि तकनीक का हस्तांतरण भारतीय कंपनियों को किया जा सके, जिससे भविष्य में वो भी इन्हें बना सकें। यूएसआइबीसी के निदेशक बेंजामिन एस का कहना है कि तकनीक पर नियंत्रण को लेकर अमेरिकी कंपनियां आशंकित हैं। उन्हें संयुक्त करार के उस बिंदु पर भी एतराज है जिसमें उत्पाद में कमी आने पर अमेरिकी कंपनी को दोषी ठहराया जा सके।

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